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Gurdarshan Taneja

Romance

4  

Gurdarshan Taneja

Romance

हाल- ए- दिल

हाल- ए- दिल

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तन्हा गलियों में चलना अच्छा लगा मुझे 

ग़म में दिल का जलना अच्छा लगा मुझे,

सुबह हुई तो मन कुछ हल्का सा था रात भर ते

रा ख़्वाबों में मिलना अच्छा लगा मुझे, 

ये मसरूफ़ियत भी कैसी कि अपनों की खबर न हो 

तेरी ज़िंदगी से निकलना अच्छा लगा मुझे, 

इक दिन घर लौटे तो रुख़सत हो चुकीं थीं 

तेरा यूं राह बदलना अच्छा लगा मुझे, 

हमसफ़र थी, एक इरादे एक राह थी 

तेरा ग़ैरों से मिलना अच्छा लगा मुझे, 

नम आँखों का बहना इक अलग़ बात थी 

सुर्ख रेत में पैरों का जलना अच्छा लगा मुझे, 

बंद कर चुके थे तेरी यादों की किताबें सारी 

पुरानी क़िताबों में सूखे फूलों का मिलना अच्छा लगा मुझे, 

ख़्वाब हैं टूटे, चाहतों के टुकड़े हुए हैं किसी टुकड़े में

तेरे अक्स से मिलना अच्छा लगा मुझे, 

फ़क़त बातों से बहलाए हुए थे ख़ुदको 

बारिशों में यूं धूप निकलना अच्छा लगा मुझे, 

मयख़ाने से लौटा हूँ कुछ बहक गया हूँ 

तेरी बाँहों में आके संभलना अच्छा लगा मुझे, 

उसने मुस्कुराके देखा तो ख़ुद पे यकीं न आया 

फ़िर लब से लब का सिलना, अच्छा लगा मुझे 

सर्दी गर्मी दिन और रात, सारी दुनिआं भूल चुका था 

अब जब भूला हूँ खुद को, तो अच्छा लगा मुझे।



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