बसंत
बसंत
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देख सखि री बसंत आया
तन मन भी झूम उठा है
बसंत का हुआ आगमन
प्रकृति ने किया नव श्रृंगार।
सभी कर रहे हैं स्वागत
सुनहरी सूरज की किरणें
धरती करे सोलह श्रृंगार
ओढ़ी आज पीली चुनरिया।
खेत में सरसो फूली फूली
बिखरी गई अनोखी छटा
भौरो का गुंजन गूंज उठा
कोयल की कुहू कुहू प्यारी।
धूप कम तो कहीं है ज्यादा
मस्त मस्त चल रही है बयार
आमों के बोरों का आना
गेहूं की बालियों से हो रहा।
झूम झूम कर नृत्य यहां
टेसू रंग पलाश फूलने लगी
खिला मन हो रहा है पुलकित
मस्ती काआलम सारे जहां में।
हरी हरियाली चाहु ओर है
आलौकिक अनोखी छटा
प्रकृति संग बसंत प्रेम उत्सव
जीवन जीने का दे संदेश।
जीवन का यह बसंत राजा
नव कोपलों में नव कालिकाएँ
खिलने लगी है मधुमास में।