पिता
पिता
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पिता होता है घर का बागबान
इसकी छत्रछाया में पले परिवार
उसके होने से खुशियां होती हजार
सारे घर की बागडोर वह सभालता।
जिम्मेदारी खूब प्यार से निभाता
घर पर वह सदा ही वह मौन रहे
अपने खर्चे को कम करके, करे
वह हर किसी की फरमाइश पूरी।
सब की खुशी में ही जो खुश रहता
जिसके कंधे काम से नहीं थकते
वह पिता होता है तुम सब खुश
रहो कहकर जो चुप रह जाता ।
हिम्मत और ताकत हमें मिलती
मुश्किलों में हर पल राह दिखाए
अच्छे बुरे का ज्ञान सदैव कराकर
मदद के लिए तैयार रहता हरदम।
कभी ना करे तकरार किसी से
परिवार से करता प्यार जो हरदम
समर्पण की मूर्ति करे जो हर वक्त
परिवार के लिए कुर्बान सारा जीवन।
सच्चे मार्गदर्शक संस्कारों की पूंजी।
