कहानी हूं
कहानी हूं
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ना आशिक़ हूं, ना दीवानी हूं,
ना टूटी हूं, ना बिगड़ी हूं,
मैं तो शेर की चमड़ी हूं,
मैं तो खुद की ही नई कहानी हूं।
कहते हैं सब मस्तानी हूं,
घर में आई सुनामी हूं,
दोस्तों के लिए शानी हूं,
दुश्मनों के लिए मां भवानी हूं,
मैं तो खुद की ही नई कहानी हूं।
मैं नारी हिन्दुस्तानी हूं,
बोलती पक्की ज़ुबानी हूं,
करती अपनी मनमानी हूं,
मैं ही तो शिव जटा से निकला शुद्ध पानी हूं,
मैं तो खुद की ही नई कहानी हूं।।