STORYMIRROR

Sudhir Srivastava

Abstract

4  

Sudhir Srivastava

Abstract

दोहा (हास्य व्यंग्य)

दोहा (हास्य व्यंग्य)

1 min
13

भेदभाव करते रहें, बनेंगे सारे काम।    

तारीफों के संग में, मिल जाएंगे राम।।


देशद्रोह के आप सब, करते रहिए काम।

खुशहाली के संग में, मिले सुखद परिणाम।।


ममता जी ममतामयी, जनता है हैरान।

अपराधी सब मौज में, है विपक्ष परेशान।।


जाति सभी की पूछते, अपने नेता जी रोज।

पूछी उनकी जाति तो, अभी रहे हैं खोज।।


बड़की कुर्सी चाहिए, अम्मा सुन लो आप।

करने को तैयार हूँ, बड़े से बड़ा पाप।।


सतपथ पर चलते हुए, मिला मुझे क्या यार।

जो भी अपने पास था, वो सब भी बेकार।।


राजनीति में देखिए, उजले काले रंग।

चादर मैली न दिखे, हो चाहे बदरंग।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract