कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर में ही। कभी तो समझेंगें वो मुझे, बस इसी सब्र में ही, क्या बची ज़िन्दगी कटेगी मेरी रसोई-घर...
मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...। मासूम कन्या की उजड़ी ज़िंदगी...।
उम्मीदों के खिलाफ ! उम्मीदों के खिलाफ !
वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है ! वो लड़की और उसकी दुनिया सब 'ख्वाब' ही तो है !
क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ? क्यूँ बदल जाती है तस्वीर सात फेरों के बाद ?
इस प्रकृति की सबसे प्यारी आवाज़ काशवी का किलकारी मारना... इस प्रकृति की सबसे प्यारी आवाज़ काशवी का किलकारी मारना...