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Meenakshi Gandhi

Drama

5.0  

Meenakshi Gandhi

Drama

उम्मीदों के खिलाफ

उम्मीदों के खिलाफ

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मत मारो उसे , मत मारो उसे

वो जब बड़ी होगी तो तुम्हारा नाम रोशन करेगी

हो सकता है वो कल्पना चावला बने

और आसमां तक पहुँच जाये

या फ़िर लता मंगेशकर बन सबके दिलों पर छा जाये

ये भी हो सकता है कि वो साक्षी या दीपा बन

तुम्हारा सर गर्व से ऊँचा कर दें

या फ़िर नीरजा बन कर हजारो की जान बचा ले

ना जाने ऐसी कितनी ही उम्मीदें

जोड़ने लग जाते हैं सब एक लड़की के जन्म के साथ पर यदि वो…


ऐसा न कर पाई

तुम्हारी या किसी और की उम्मीदों की सीढियाँ न चढ़ पाई

न कर पाई वो सब जो तुम चाहते हो

तो क्या ??

व्यर्थ है उसका ये जीवन

और व्यर्थ है उसके खुद के सपने

क्या उसकी तमन्नाएँ कुछ नहीँ

और उसकी अपनी सोच समझ का क्या ??

वैसे क्या तुम कर सकते हो वादा ??

किसी ओर के सपने पूरे करने का

वो भी अपनी सब इच्छाओं को त्याग कर

यदि नहीँ तो उस से इतनी उमीदें क्यों ??

क्योंकि वो एक लड़की है ??


अरे !

जीने दो उसे भी

उसकी शर्तों पर

फ़िर चाहे वो आम जीवन जिये

या कुछ नया कर दिखाये

क्योंकि समान अधिकार सभी को है

इस दुनिया में रहने का

और अपने तरीके से जीवन जीने का

ये जीवन उसका है और सिर्फ़ उसका

उसे ख़त्म करने

या दिशा देने का हक

न ही तुम्हे है और न किसी और को ॥


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