मैं मीनाक्षी गांधी , विज्ञान की अध्यापिका और एक लेखिका ।।
पढ़ाई के दौरान एक लेखिका बनने का तो ख्याल कभी मन मेें आया ही नही था । मगर शिक्षण के दिनों में जब भी कुछ महसूस करती थी उसे शब्दों में पिरोने की कोशिश करती थी । कुछ वक्त तक नारीवाद पर कविताएं लिखती रही । अभी ये किसी को प्रभावित कर पाती थीं... Read more
मैं मीनाक्षी गांधी , विज्ञान की अध्यापिका और एक लेखिका ।।
पढ़ाई के दौरान एक लेखिका बनने का तो ख्याल कभी मन मेें आया ही नही था । मगर शिक्षण के दिनों में जब भी कुछ महसूस करती थी उसे शब्दों में पिरोने की कोशिश करती थी । कुछ वक्त तक नारीवाद पर कविताएं लिखती रही । अभी ये किसी को प्रभावित कर पाती थीं या नहीं , नहीं जानती थी परन्तु ये मुझे हिम्मत देती थी , प्रेरित करती थी मुझे अपने सपने पूरे करने के लिए , उनके लिए लड़ने के लिए ।
शब्दों की ताकत कितनी बड़ी हो सकती है ये मैंने तब जाना जब कुछ अच्छी किताबों को पढ़ना शुरू किया । शब्द हमारे अंदर एक ऐसे लहर पैदा कर देते हैं कि हम खुद पर विश्वास करने और अपनी मंजिल तक पहुंचने की ताकत जुटा लेते हैं ।
ऐसी ही एक ताकत बनना चाहती हूँ मैं , दूसरे लोगों के लिए । जब लोग मुझे पढ़े तो उन शब्दों में खुद को तालाशें और अपनी मंजिल के रास्ते भी । Read less