एक लोरी
एक लोरी
लाडली ओ लाडली
कहाँ चली मेरी लाडली
घर भर की दुलारी तू
सबकी प्यारी लाडली
लाडली…………………।
मां-पापा की लाडली
बहना की तू सखी भली
भैया को प्यारी गुड़िया
जैसी बहना तू मिली।
लाडली…………………॥
तू नाज़ुक फूलों जैसी
निश्छल तू दर्पण जैसी
तेरी मुस्कराहट पर
खिलती दिल की कली कली।
लाडली……………………।
तू शीतल-सी चांदनी
जो छेड़े दिल की रागिनी
तेरी बोली लगती ऐसी
मिश्री की जैसी डली।
लाडली……………………॥
मां की उंगली पकड़ के घूमी
घर आँगन और गली-गली
सब कुछ सूना-सूना लगता
बिन तेरे मेरी लली।
लाडली…………………॥
पढ़ लिख कर तू नाम करे
जग तुझपे अभिमान करे
तेरी रोशनी से रोशन हो
धरती से अम्बर की गली।
लाडली…………………………।
मां का लाडला आज कोई
तुझको लेने आया है
मां का आँचल सूना करके
उसके संग तू हो चली।
लाडली……………………।
तेरे जीवन में खुशियों की
बगिया हो महकी-महकी
पर भूल न जाना तू कभी
मां के आंगन की गली।
लाडली ओ लाडली
