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Poonam Srivastava

Tragedy

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Poonam Srivastava

Tragedy

राज़दां

राज़दां

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उन्हें शक है हम उनके राज़दां बन गये हैं

उन्हें देख कर बेजुबां बन गये हैं।

नहीं है खबर क्या उन्हें आज यारों

कल क्या थे हम आज क्या बन गये हैं।

नहीं याद उनको वो तन्हाई के दिन

इकरारे महफ़िल और इसरार के दिन।

छोटा सा नाटक किया था उन्होंने

छुपाने को इक राजे महफ़िल भी मुझसे।

उन्हें डर था शायद बयां हो न जाये

कहीं राजे महफ़िल भी मेरी जुबां से।

नहीं देखते हैं वो क्या आज लेकिन

कि खुद ही बयां हो रहा राजे महफ़िल।

छुपाने दिखाने का नाटक ये क्यूं है

बयां जब खुदी कर रहे राजे महफ़िल।

उन्हें शक है कि हम उनके राजदां बन गये हैं

उन्हें देख कर बेजुबां बन गये हैं।


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