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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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तुम धीरे-धीरे आना

तुम चुपके –चुपके

तुम छइयां छइयां आना

ना धूप लगे डर जाना ।

तुम बन के चंचल हिरनी

वन वन में कुलांचे भरना

मत अंखियाँ तुम बंद करना

शिकारी बन कर रहना ।

कुछ पांव तले गड़ जायेगा फिकर कोई तुम न करना

तुम आगे- आगे चलना

ना पीछे मुड़ते रहना।

तुम अपना पँख फैलाना

बन आजाद परिन्दा

चूमोगी नील गगन को

इक दिन तुम ये तय करना।

खुश रहना तुम हर पल

ना गम के साये में रहना

फूलों के संग संग कांटे

होते फूलों का गहना।


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