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Pratik Prabhakar

Drama Inspirational

4.7  

Pratik Prabhakar

Drama Inspirational

चतुर्भुज

चतुर्भुज

3 mins
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आज मनोज जी ने ऑनलाईन व्हाट्सऐप मीट का प्लान बनाया था। मीट की ख़ास बात ये थी कि जो चार और लोग जुड़ने वाले थे सभी के सभी डॉगी चैट्स को लाइव में देखना चाहते थे। चैट्स, भला ये कैसा नाम हुआ डॉगी का। हुआ यूँ कि नाम तो डॉगी का चतुर रखा गया था पर प्यार से लोग चैट्स बुलाते थे। चतुर भी नाम इसलिए कि शुरू से ही वो काफ़ी नटखट था, कभी अपनी रस्सी चबाता तो कभी पंछियों पर भौंकता कभी सोता हुआ गुर्राता।

मनोज जी कोटा(एक शहर)में हॉस्टल के मालिक थे और चैट्स था, उनका प्यारा डॉगी। और जो चार लोग व्हाट्सऐप मीट में आने वाले थे वो थे उनके हॉस्टल में पिछले साल रहे सागर, आदित्य, हर्षित और साज़िद। ये सभी छात्र पिछले वर्ष मेडिकल की तैयारी करने आये थे।

शुरू में सागर और साज़िद एक कमरे में थे तो आदित्य और हर्षित एक कमरे में। मनोज बिहार से , आदित्य उत्तरप्रदेश, साज़िद मध्यप्रदेश और हर्षित महाराष्ट्र से आया था। पहले तो सब ठीक था पर कुछ ही दिनों में सागर ने साज़िद से बात करना बंद कर दिया और कई बार हर्षित और आदित्य के मतभेद भी सामने आने लगे। शायद जहाँ से सभी आये थे उस स्थान की खूबियाँ तो उनमें थी ही। धारा 370 को लेकर साज़िद और सागर में काफ़ी बहस हो गई। तो भइया बोल कर हर्षित द्वारा खुद को पुकारा जाना आदित्य को खराब लगने लगा था। 

तब मनोज जी ने उन्हें कमरा एक्सचेंज करने का सलाह दिया। अब इस बात में भी समस्या कि कोई एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने को तैयार नहीं। लेकिन बात काफी बढ़ चुकी थी। एक नायाब लॉटरी सिस्टम से फिर निर्णय लिया गया। सबसे पहले चार अलग-अलग कंपनी के बिस्किट लिए गए और निर्णय पपी चैट्स पर छोड़ा गया , फिर चैट्स ने जिन दो लोगों के दिये बिस्कुट पहले खाये उन्हें रूम एक्सचेंज करना पड़ा। 

अब पुराने रूममेट्स की आपस में कोई बात नहीं होती थी। अगर अभी संयोग से नजरें टकरा भी जाये तो नजरें फ़ेर ली जाती थी।

एक दिन शाम में चैट्स ग़ायब हो गया। पता चला कि आज उसने अपनी रस्सी काट ली। मनोज जी परेशान और साथ ही परेशान थे हॉस्टल के छात्र। सभी छात्रों ने उसे ढूंढने का बीड़ा उठाया। अलग-अलग दिशा में जाना तय हुआ। मनोज जी ने साज़िद और सागर को एक दिशा में जाने को कहा तो आदित्य और हर्षित को दूसरे। अब क्या हो , ऐसा सोंचते हुए सभी बताये दिशा में चले गए। कहीं कहीं स्ट्रीट लाइट खराब थी आदित्य ने मोबाइल लिया था और फ़्लैश लाइट जला रहा था। तभी हर्षित को एक डॉगी के रोने की आवाज़ सुनाई दी। देखा तो कोई और डॉगी था। आदित्य से वो बात तो नही करना चाहता था पर उसे अपनी ओर आते देख उसने अनायास ही हाथ से इशारा किया।

इधर साज़िद और सागर अनमने से चैट्स-चैट्स चिल्ला रहे थे तभी उन्हें दूर कुछ परछाईं सी दिखी। अरे ये तो चैट्स है। साज़िद ने दौड़ कर पपी को उठा लिया। पपी उसके हाथों को चाट रहा था।मनोज के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और एकबारगी से उसकी नजर साज़िद से टकरा गई।दोनों मुस्कुरा रहे थे।

अब जब सभी हॉस्टल पहुँचे मनोज जी खुश हुए साथ ही उन्हें विस्मय भी हुआ। विस्मय इसलिए कि साज़िद और सागर आपस मे बात कर रहे थे और हर्षित और आदित्य चैट्स के साथ एकसाथ खेल रहे थे।

कई बार मतभेद हो सकते हैं पर मनभेद नहीं होना चाहिए। मनोज जी ने उनसे कहा अब चतुर तो मिल ही गया और चार अलग अलग भुजाएँ भी मिल गयीं हो गया ना, चतुर्भुज! सभी हँसने लगे। 

चारों ने मेडिकल की तैयारी साथ में की और सभी ने मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी ले लिया। मनोज जी लगातार उनसे संपर्क में थे। सभी ने उनसे चैट्स को दिखाने को कहा। अब चैट्स पपी नहीं था अब वो डॉगी हो गया था। जब मनोज जी उन्हें व्हाट्सऐप पर कॉल कर रहे थे ग्रुप का नाम दिख गया जो था चतुर्भुज।


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