Bharat Bharat

Drama Others

3.7  

Bharat Bharat

Drama Others

बाबुल-बाप बेटी का अनमोल रिश्ता

बाबुल-बाप बेटी का अनमोल रिश्ता

3 mins
19.1K


"सुना है, भाभी पेट से हैं, मुबारक हो भाई"।

यही सब कहते, जन्म से पहले हैं।

लड़की हुई तो एक भी आवाज़ लौट के न आई।

यही लोग समाज के, गन्दे चेहरे हैं।।


जब बाप की गोद में, पहली बार आई बच्ची।

आदमी की खुशी का, ठिकाना न था।

कुछ बधाईयाँ महज़ औपचारिकता थी, तो कुछ सच्ची।

लेकिन उस पल आदमी को उनसे, कुछ लेना न था।।


उस दिन आदमी का फिर से, एक बार जन्म हुआ।

पहले था बेटा, फिर पति, अब बाप बन गया।

जिस छन बच्ची का पहला स्पर्श, उसे महसूस हुआ।

वो लम्हा उसके लिए, अमर बन गया।।


पहले बच्चों को लेने से, डरता था।

कहीं कपड़े गीले कोई कर न जाए।

पर अपनी बेटी से उसे, कोई फर्क न पड़ता था।

चाहे जितनी बार, कुछ भी कर जाए।।


पहली बार जब बोली बेटी, निकला मुँह से माँ।

पापा क्यों नहीं बोली, ऐसा कभी सोचा नहीं।

जानता है वो पहला हक, हर चीज़ पर रखती है माँ।

पर माँ के बाद और पापा से पहले, और कोई दूजा नहीं।।


ऊँगली पकड़ जिस दिन बेटी ने, थोड़ा-सा मुस्काया।

पापा की आँखों में अश्कों का सागर लहराया।

ईश्वर की माया देखो, बेटी को सब समझ में आया।

नन्हे-नन्हे हाथों से परी ने, बहते अश्कों को हटाया।।


शाम को आया घर जब, आँखें उसकी भर आई।

पापा-पापा कहते नन्ही गुड़िया, जब उसके समीप आई।

बेटी को पहली बार चलते देख, पिता के चेहरे पर अनमोल मुस्कान आई।

सच में बेटी अपने साथ, खुशियों की बहार लाई।।


बेटी थोड़ी बड़ी हुई अब, स्कूल जाने की बारी थी।

सभी स्कूलों की कतारों में, खड़ा हुआ जा-जा कर।

अंततः जब एडमिशन हुआ, बेटी पापा की आभारी​ थी।

धन्यवाद कह गले लग गई, पहले दिन वापिस घर आकर।।


उत्तर पत्रिका लेकर घर, आई बेटी एक दिन।

अधिकतर सवालों का जवाब एक ही था।

ज़िन्दगी क्या है? नहीं रह सकते किसके बिन?

ऐसे प्रश्नों का उत्तर, लिखा बस पापा ही था।।


दिन बीते धीरे-धीरे, बेटी बड़ी होने लगी।

स्कूल की वर्दी छोड़, सूट सलवार जीन्स टोप लेने लगी।

पहले जन्मदिन घर पर मनाती, अब दोस्तों के साथ मनाने लगी।

वक्त ने रुख कुछ यूँ बदला की, वो अपनों को ही भूलने लगी।।


एक दिन बेटी को, अपने पास बुलाया।

अपने अहसासों से उसे, परिचित कराया।

"हमसे दूर होने लगी हो", अपना ये अहसास उसे जब बताया।

तब बेटी का उत्तर सुन, बाप मन ही मन मुस्काया।।


आपने ही मुझे जन्म दिया, आपने ही दिया मुझे प्यार।

आप ही मेरे सब कुछ हो ,आपको केसे भूल सकती हूँ।

आपकी वजह से मिले मुझे, ऐसे दोस्त यार।

पर क्या कभी भी आपसे, अच्छा कोई पा सकती हूँ।।


बेटी बड़ी हो गई, शादी का समय हो गया है।

लड़का ढूँढने में पापा, कोई कसर छोड़ना चाहते नहीं।

यहाँ तक कि अब जब, रिश्ता हो गया है।

फिर भी सोचता है बाप, क्या ये रिश्ता है सही।।


पक्का करने से पहले, एक बात बेटी से पूछ लूँ।

बोला बाप ने दोनों घरवालों को।

पूछा बेटी से "कैसा लड़का मैं तुम्हें दूँ"।

ये सुन बेटी याद करने लगी, बीते हुए सालों को।।


अब तक बिना मांगे आपने, सब कुछ दिया है।

अब ये अधिकार भी मैं, आपको ही देती हूँ।

मुझे वो घर पसंद है जो, आपने ढूँढ लिया है।

आप जितना प्यार उन्हें नहीं दे पाऊँगी, ये पहले ही बता देती हूँ।।


ये सुनकर प्यार से बेटी को गले लगाया।

बेटी की शादी में, आप सभी आमंत्रित हो।

ये बोलने के लिए एक-एक कर, सबको फोन घुमाया।

शादी में कोई कमी न छोड़ी, ऐसा लग रहा था जेसे, एक-एक तारा आकर्षित हो।।


माँ भाई बहन ने रोकर, अपना दुख जता दिया।

बेटी ऐसे घर जा रही है जहाँ सब अनजान हैं।

बाप ने चेहरे पर खुशी लाकर, दिल में सब कुछ दबा लिया।

रोता भी कैसे अभी किया था, उसने दुनिया का सबसे बड़ा दान है।।


अंत में विदाई पे बेटी से बोलता बाप, एक ही बात है।

घर से जा रही है, दिल से कभी न जाएगी।

याद रहे ये *बाबुल*, सदा तेरे साथ है।

जब-जब याद करेगी, अपने आसपास ही पाएगी।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama