महामारी के साथ
महामारी के साथ
आज मैं खामोश हूं तो
कुछ लिखने के लिए।
यहां समस्याएं, आपदा
राजनीति, दंगे कम नहीं होते
हालात ऐसे कि
कलम उठा ही लेता हूं।
आजकल महामारी है
पर साथ में
राजनीति हाथ सेक रही है
जिहाद की नारे हैं
मजदूर उत्पीड़न है
आर्थिक महामारी है।
बहुत कुछ है लिखने को
ये जनता है
सब लिखवा देती है।