डियर डायरी
डियर डायरी
18 वाँ दिन हुआ पूरा
और तीन अभी बाकी
प्रभु जाने क्या होगा
स्थिती रोज बदल जाती।
डिजिटल काव्य गोष्ठी में लेना था भाग
सुबह से लगी थी उसके नाम
फोन टैब सब किया फुल
ऐन समय कुछ न हो गुल।
सुबह जल्दी सब काम किए
क्लासों को भी दिए वर्क पूरे
उनकी जिज्ञासाओं को किया शान्त
शाम की फिर गोष्ठी के नाम।
4से 6 का समय निर्धारित
3 बजे से थी उत्तेजित
पहली बार ज़ूम पर गोष्ठी
नेट न जाए यही सोचती।
सब प्रोग्राम रहा बढ़िया
लाकडाऊन में काव्यपाठ
आइडिया और भी बढ़िया
मन बहला माही जी शुक्रिया।
करोना केसिस जो रहे हैं बढ़
चिंताएँ हो गई हैं और भी सुदृढ़
मोदी जी के आह्वान का करो पालन
यही है सुरक्षा का एकमात्र साधन।
हर भारतवासी का है यह कर्तव्य
स्वयं बचे न करें वक्तव्य
कोरोना हारेगा यही विश्वास
सारा देश मोदी जी के साथ।
बस अब मन को
करती हूँ पोटली में बंद
कल सुबह खोलूँगी
कोटस् के संग।