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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama

जोकर

जोकर

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दुनिया में हर वो आदमी जोकर है

परिवार के लिये खाता जो ठोकर है

बाहर से हरपल वो हंसता रहता है

पर अंदर से तो भरा उसके पोखर है


दुनिया के आईने में वो तो मसखरा है

पर वो असल मे गम छिपाता हरा है

चेहरे पर उसके लगती है तरोताजगी,

वो तो दुःख में भी सुख के लिये मरा है


सबको हंसाता है, कभी नहीं रुलाता है,

वो सबको हँसानेवाला सोना खरा है

सब बनते है यहां हज़ार बार जोकर है

हंसी के विविध पात्रों के वो नौकर है


भांति-भांति के वो हावभाव बनाते है

सब यहां अंधेरे में खोये हुए ब्रोकर है

मत उडा तू साखी मजाक किसी का

तू भी पात्र बन सकता है हंसी का,


सबका तू साखी यहां सम्मान कर,

सबको तू जोकर का पात्र समझा कर,

तू भी पात्र है जोकर के किसी रूप का

दुनिया में जो समझ लेते हैं जोकर को


कभी नही दुःख पाते है वो राई भर का

जोकर बनो, दूसरों को खूब हंसाओ

ख़ुदा तुमको भी जी भरकर हंसायेगा


यहां वो बना पाता खुशियों का घर है

जिसका दिल हक़ीक़त में जोकर है।


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