रिश्ता
रिश्ता
बरसाने के लिए बारिश ही काफी नहीं,
बातें बरसाने की कला भी आती है सबको,
वो सुंदर सी चमक दुनिया की,
आँखों में चुभने लगी है अब हमको।
यही सुनकर जिंदगी काटी है,
ग़म और ख़ुशियों में उसे बाटी है,
इनकी यह चिंता, यह दिलासा,
तोड़ देती है मेरी आशा।
कटाक्ष करने की इनकी तो है आदत,
जिसको कहते हैं ये भगवान की इबादत,
हमें सही रास्ते पर लाने की चाह में,
छोड़ दिया है भ्रम की राह में।
' नादान है तू ', कहकर अगर हर बात टालते,
तो मुश्किल वक़्त में इनको हम कैसे हैं संभालते?
यह सब हम मानते हैं,
किस दर्द से गुज़रना है, हम यह भी जानते हैं।
जितनी तेज़ी से लोग जिंदगी में आते हैं,
उतने शीघ्र ही चले जाते हैं,
पर अपने छोड़े जब साथ,
तब तिल - तिल कर मरता है मन,
की किसका पकड़े अब हाथ?
जैसे प्यार की डोर विश्वास से पनापति है,
अपनों का प्यार, उस रिश्ते की नींव बन सकती है,
वैसे ही रिश्ते बनाने में उतनी मेहनत नहीं लगती,
जितनी उसे निभाने में लगती है।
माफ़ करना मना है,
प्रेम से बोलना सज़ा है।
चाहे जितना भी कर लो कोशिश,
ख़ुशियों की मेहफिल यूं ही नहीं सजती,
प्रयत्न दोनों तरफ से होना चाहिए,
क्योंकि " ताली सिर्फ एक हाथ से नहीं है बजती! "