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Ipshita Tiwari

Inspirational

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Ipshita Tiwari

Inspirational

पापा

पापा

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चाँद पर पहुँचने की चाह थी, 

हर रोज़ एक ही बात

उन कंधों पे पहाड़ सी, 

आसमान में ताकती थी दिन - रात। 

गोद में सुकूँ, 

दिल में कुछ करने का जुनूँ, 

परियों जैसी जिंदगी, 

पर लडूंगी जब बुराई से, 

सिखाया यही, मिलेगी उनको खुशी तभी। 

सिखाया करना खुद पे यकीं, 

कभी न रोका, कभी न टोका, 

हाँ, बढ़ना आगे है सिखाया, 

किया मुझ पे है भरोसा। 


मेरे हर सपने को अपनी चाह बनाकर, 

मेरी कर खुशी को सफलता मानकर, 

क्या नही किया आपने पापा, 

मैं नादान हूँ, यह भी जानकर, 

मेरे हर फैसलों का भी किया

सम्मान आपने पापा। 

थाम मेरी उँगली, चल दिये हम, 

कल्पना और ख़ुशियों की दुनिया में,


पर पापा, 

इस असली दुनिया में जीने का अभ्यास, 

कब कराओगे, कब दिखाओगे? 

क्यों सारे दुख आपके, बाँट सकूँ न मैं? 

देखा मैंने है सबका प्यार, 

पर बिन दिखाये जो कर रहे प्रेम, 

वोह तोह आप ही हो पापा यार!! 

आपके हर "ना! नहीं! " में है देखभाल, 

आपकी डाँट का भी है डर, 

झेला हमको इतने साल, 


अंदर जो हो, बाहर तो थी न खुशी मगर?

मेरे निजी भूषाचार रूपकार हो, 

अरे यार, कैसे हो आप? 

"पर्सनल फैशन डेसाइनर" भी ना समझे जो!

लोग कभी "सुपर हीरो" को मानते नहीं, 

कहते, "कहाँ असली है कोई?"

अब मैं उनको कैसे बताऊँ? 

की वो मेरे पापा को जानते नहीं। 

                    


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