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Naresh Kumar Behera

Abstract Drama Romance

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Naresh Kumar Behera

Abstract Drama Romance

मेरी जिंदगी मेरी मर्जी

मेरी जिंदगी मेरी मर्जी

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मेरी जिंदगी मेरी मर्जी ।

सच है, 

किसी का हक़ नहीं बनता

टांग लडाने की।


जो कुछ मैने बोया

पता है वही तकदीर है मेरी।

तुम्हें किस बात है गम?


जिंदगी न कभी किसी के लिए है 

न रहेगा! 

ये सब बहम है 

अपने अपने मन का।


झूठी रोना, प्यार की पैमाइश 

ये सब नाटकीय है।

नहीं तो आज

किसी और की जरूरत नहीं होती !


मेरा जाना -

दस बारह दिन का रोना धोना

फिर सब अपने अपने रास्ते।


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