मेरी जिंदगी मेरी मर्जी
मेरी जिंदगी मेरी मर्जी
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मेरी जिंदगी मेरी मर्जी ।
सच है,
किसी का हक़ नहीं बनता
टांग लडाने की।
जो कुछ मैने बोया
पता है वही तकदीर है मेरी।
तुम्हें किस बात है गम?
जिंदगी न कभी किसी के लिए है
न रहेगा!
ये सब बहम है
अपने अपने मन का।
झूठी रोना, प्यार की पैमाइश
ये सब नाटकीय है।
नहीं तो आज
किसी और की जरूरत नहीं होती !
मेरा जाना -
दस बारह दिन का रोना धोना
फिर सब अपने अपने रास्ते।