मेरी जान
मेरी जान
जान ने जिंदगी को
ताकीद किया फिर से
जान ने जिंदगी को
ताकीद किया फिर से
तुम फिर ऐसी बात करोगे, तो मैं
चला जाउंगा दूर तुमसे ।
मैने कहा जान से,
मुझसे क्या नाराजगी
मुझसे क्यों सवाल जवाब
मैने कहा जान से,
मुझसे क्या नाराजगी
मुझसे क्यों सवाल जवाब
ये जिंदगी तुम्हारी है
जो मर्जी वही करो।।
जान देने का अगर हक है
तो लेने का क्यों नहीं?
बोलती है,
जो ना समझ है, उससे क्या बहस!!
ना मैं कभी समझा
ना कोशिश की समझने।
जो मेरी मर्जी वही करता हूँ ।
तुम्हें बदनाम करता हूँ ।
ये क्या बात हुई?
फिर ये जान
मेरी जिंदगी में क्यों आई?