STORYMIRROR

Naresh Kumar Behera

Drama Romance Classics

4  

Naresh Kumar Behera

Drama Romance Classics

सपने

सपने

1 min
23.1K

चुने थे कई, बूने थे भी

सपने उसने अपनों के

सजाए थे कई रंगमहल

साथ अपने राजकुमार के।


था यकीन उसको, ज्यादा 

अपनों से उन पर

तय था डटलेगी वो

जमाने की हर एक ठोकर।


झूकती थी नजर हमेशा 

इकरार के ईसारे से

ढूंढती थी हमेशा, वो आंखें 

हर पल, हर वक्त।


पाने को सिर्फ एक मिठास 

सांसो के एहसास से,

जैसे मुर्दो में 

डालागया जान हो।


क्योंकि, 

रोज मरती थी जो

अपनों से ज्यादा 

उन्हें भरती थी

क्योंकि था यकीन उसको

ज्यादा अपनों से उन पर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama