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Naresh Kumar Behera

Others

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Naresh Kumar Behera

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हे ईश्वर!!

हे ईश्वर!!

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हे ईश्वर

अब क्या? 

सब कुछ तो सुन लिया 

दिल की सारी बात

फिर भी क्यों चुप है 

है मेरे ईश्वर!! 


जिंदगी की जंग में 

न मैं जीता हूँ 

न हारा

न सुखी हूँ 

न ही दुःखी 

फिर अकारण 

क्यूँ सारे रास्ते बन्द किया तुमने?? 


अगर मेरा गुनाह ये है, कि 

मैने तुमसे प्रेम किया 

तुम्हें संवारा 

अपने दिल में बसाया

तुम्हारी पूजा की

तो ये सब कुछ 

तुमने क्यूँ रचाया? 


हे ईश्वर!! 

प्रेम ही ईश्वर है 

ईश्वरत्व ही प्रेम है तो

मैं क्यूँ इससे परे हुँ 

मेरा गुनाह क्या है? 

अब जब रास्ते बन्द हैं 

तो क्युँ ये परीक्षा?



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