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Lakshya Sharma

Drama Tragedy Others

4.8  

Lakshya Sharma

Drama Tragedy Others

मांझा विश्वास का

मांझा विश्वास का

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खराब मौसम में

पतंग संभालता पक्का मांझा हो,

बस यूं ही ज़िन्दगी में

रिश्तों और विश्वास का संतुलित साझा हो,


जब कच्चे मांझे से पतंग तू उड़ाता है,

पतंग काटने का डर भी तुझे सताता है,

मांझा बदल इंसा तू अपना,

सोच बदल कर निर्भय कर खुद को,

गगन का अपराजित राजा हो,


खराब मौसम में

पतंग संभालता पक्का मांझा हो,

बस यूं ही ज़िन्दगी में

रिश्तों और विश्वास का संतुलित साझा हो,


माना के पक्के मांझे से,

कभी कभी घाव खुद को लगता है,

सूरज को देख आंखो को मिच,

कुछ पल को अंधा

कोई भी हो सकता है,


लेकिन तू संभल कर लपेट मांझे को अपने,

सूरज को देख तू ना अंधा हो,

खराब मौसम में

पतंग संभालता पक्का मांझा हो,

बस यूं ही ज़िन्दगी में

रिश्तों और विश्वास का संतुलित साझा हो, 

                 


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