बरसात में बरसते आंसू
बरसात में बरसते आंसू
कुछ हवाएँ आ कर चली गई
बहारो के मौसम को बरसात
करके
आज फिर रो दिया मैं उसकी
मुस्कुराहटो को याद करके...
मै मुहब्बत लूटता रहा उनके
शामियाने में
और
वो अलविदा रख गई मेरी झोली
में,खैरात करके
आज फिर रो दिया मै उसकी
मुस्कुराहटो को याद करके...
याद है मुझे वो मीठी सी गुडनाईट
से मुझे सुलाना,
याद है मुझे वो नुक्कड़ पे
गोलगप्पे खाना,
क्यू चली गई अब मेरी ज़िन्दगी
को बेस्वाद करके
आज फिर रो दिया मै उसकी
मुस्कुराहटो को याद करके
देख मै टूटा नहीं
बस बिखरा सा हूँ
रोज़ मर के भी जिंदा हूँ
खुद ही को
शय और मात करके
आज फिर रो दिया मै उसकी
मुस्कुराहटो को याद करके...
ऐ जाते तूफान की हवाओं
अब तो मेरी रूह को आज़ाद करदे,
कुछ हवाएँ आ कर चली गई
बहारो के मौसम को बरसात करके
आज फिर रो दिया मै उसकी
मुस्कुराहटो को याद करके...

