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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Romance

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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Romance

जन्मदिन

जन्मदिन

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जन्म दिवस है आज तुम्हारी प्रियता खिल जाएँ

खिल खिल कर वह गुलाब जैसी खुशबू फैला दें 


याद तुम्हारी आती है क्या, पहले मिल पाए कैसे

विजन विपिन की तरल तमस में आँखें लड़ती थी 


झांक रही थी प्यारी चिडियाँ घोंसलों के छिद्रों से

नयन दलों में विस्मय भरकर बारंबार चहकती थी


फिर ,सारंगों के शावक तेरे दाएँ बाएँ कौतूहल से

कूद रहे थे वस्त्रांचल को दबा दबाकर चाटती थी ।


सुखद कपोलों पर तब तू ने चूमा चाटी करती थी

विस्मृत मत्त तरंगों में तू वस्त्रांचल को खोती थी ।


कितनी रम्य निशब्द निशा में मेरी यादों पर सोई ?

अपने व्यस्त हृदय में तेरा चित्र निरखकर सोया था ।


कभी कभी हम उलझन में कभी कभी समरसता में

प्यार बनाए रखने को हम क्या क्या बलिदान दिए थे


नदी तटों पर सागर तट पर कितने सपने सजाए थे !

वे सपने यदि बेकार रहें व्यर्थ हमारा जैव विहार ।


आज तुम्हारे जन्म दिवस पर शत पुष्पोहार लेकर मैं

शुभाभिवंदन करके तुमको गले लगाकर बिसरूँगा।


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