हमारे बापुजी
हमारे बापुजी
नमस्ते आर्षभूमि हे नमस्ते भारताम्बा
नमस्ते सीमातीत ज्ञान सागरों को भी ।
विश्रुत गुरूवरों के कर्मकेंद्र रहा है यह
प्रतिक्षण पूजता हूँ चरण तेरे दया सिंधु
वेदगीतोपदेशों की जन्मदयिनी भारती
सुंदरोन्मुख सदाचारी सर्वहितकर नमस्ते
बुद्ध शंकर जैन जी के जन्मदाता बाद में
कर्मयोद्धा बापुजी को जन्म देकर सांस ली
अखिल संसार ही अहिंसा गीतालाप से
आकृष्ट किए महा गांधी सिधारे स्वर्ग ।
पूज्यश्री प्राण को खतम कैसे कर दिया ?
कौन मानव दुष्ट था हृदय कैसा निठुर था !
भारत के शहरों व ग्रामतुल्य प्रदेशो ने
बापुजी के महामोहन धन्य बातें ग्रहण की ।
क्रोध कल्पना के साथ देश भर घूमा फिरा
धीर वीर तपस्या कर दुश्मनों को जलाया ।
दुःखमाला को हटाकर देश भर हर्ष बिछाया
स्वार्थचिता को नहस्कर प्रेम वह्नी जलाया ।
शांति की स्थापना में देश को वे भलाई दी ।
स्वर्ग सम यह विश्व होने दुष्ट दल को हटाया ।
राजनैनिक नशे में हम पृथक होकर न चलें
राष्ट्र निर्मिति के लिए हाथ जोड आगे बढे ।
देश है सुन, बुलाता है संदेह में न खो समय
चुनौती को एकजुट से सामना करने मिलें॥