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V. Aaradhyaa

Tragedy Inspirational

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V. Aaradhyaa

Tragedy Inspirational

मन की ड्योढ़ी पर छिछलन है

मन की ड्योढ़ी पर छिछलन है

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मन की देहरी पर मैल जम रही है,

आँखों के किनारे पर भी जलकण है !


अंतस छिन्न विदिर्ण सा हुआ जा रहा,

हृदय के किनारे पर बहुत छिछलन है !


निरापद नहीं रही इस दहर मानवता,

चारों तरफ विस्तृत करूण क्रन्दन है !


हवा , पानी , मिट्टी हुई अब कलुषित,

कुछ ऐसा ही प्रदूषित हुआ पर्यावरण है !


शुद्धता, स्वछता का महापर्व दीपोत्सव,

इस दिन लक्ष्मी के स्वागत का प्रचलन है !


मन की देहरी पर जो उजास कर जाए,

ऐसी दीवापली मनाएं, यही सार्थक शगन है !



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