महादेवी , तू पुण्यवती !
महादेवी , तू पुण्यवती !
महादेवी तू मही की कवि !
अमर रहे इस दुनिया में ।
कभी न जोखों में डालेगा
दुनिया भी भूलेगा नहीं ।
नीहार रश्मि नीरज मिल जुल
यामा रचकर ख्याति पाई ।
सर्व समुन्नत ज्ञानपीठ पर
यामा को तू बिठाई हाय !
विश्वविजेता कवि कुल दल में
बीसवीं सदी में ज्वलित रही ।
कृष्ण प्रेम में अटल रही थी
महादेवी तू पुण्यवती । ।
अन्य कविजनों से भी बढकर
दमक रही है तेरी ख्याति ।
कविता प्रेमी पाठक गण को
अविरत परमानन्द दिया ॥
सत्तासी के विकृत रूप तो
हिंदीवाले दुनिया वाले
मनोव्यथा से याद करेंगे ।
यामा को पढ़ गर्व करेंगे ॥
छायावादी युगप्रिय कवि ,
तू ने पूरा किया था उसको ।
हरे कृष्ण तुम इस विनया को
दर्शन लाभ दिया था क्या ?
