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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Children

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ANANDAKRISHNAN EDACHERI

Children

नदी तट पर

नदी तट पर

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तट पर मैं ने नदी के इक दिन

तनिक बैठा सॉझ समय था।

अंबर का वह राही उस पल

अंतिम ध्येय पहुँच रहा था।


लाल रंग क्यों प्राच्याकाश में

सुरज पान सुपारी खाया ?

तब सरिता की लघु लहरों ने

निज पैरों को छू गुजर गया।


दर्द व्यथा छिप मन में क्यों

देख समझकर लघु लहरों ने

जल कण तट पर छिटकाकर

तन को , ठंडा ठंडा कर दिया।


नदी के संतान है ये मछली

उनको कुछ खाना देकर ,

जब जल दर्पण प्रकट हुआ

चम चम देखा तारे जल में है।


तब तक साँझ चली थी हाय !

मेरे व्यथित नयन से आँसू टपके

नदी से झट ही बिदाई लेकर

जल-चिंता पर अटल लौटा।


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