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Kumar Naveen

Action Children

5.0  

Kumar Naveen

Action Children

आँगन भारत माँ का

आँगन भारत माँ का

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कल-कल करती नदियाँ हो,

और झर-झर गिरता झरना हो।


अमराई में कोयल का वो,

सात सुरों का गायन हो।


मैं जहाँ जन्म ले पलूँ-बढ़ूँ,

वो आँगन भारत माँ का हो।


जिसकी सरहद की रक्षा में,

खुद पर्वतराज हिमालय है।


आदिकाल से स्वार्थरहित,

पदवंदन करता सागर है।


मैं जहाँ जन्म ले पलूँ-बढ़ूँ,

वो आँगन भारत माँ का हो।


आँचल पर खेतों में फैली,

हरियाली की चादर हो।


जिस मिट्टी पर मिटने को,

तत्पर कोटि भुजाएँ हों।


मैं जहाँ जन्म ले पलूँ-बढ़ूँ,

वो आँगन भारत माँ का हो।


जहाँ साथ में हिन्दु-मुस्लिम,

सिख-ईसाई रहते हो।


लोकतंत्र से सजी हो संसद,

शासक जन के सेवक हो।


मैं जहाँ जन्म ले पलूँ-बढ़ूँ,

वो आँगन भारत माँ का हो।


स्वर्ग जहाँ घाटी में बसता,

अमृत गंगाजल में हो।


केसर की क्यारी की खुशबू,

दसों दिशा महकाती हो।


मैं जहाँ जन्म ले पलूँ-बढ़ूँ,

वो आँगन भारत माँ का हो।।


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