Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kumar Naveen

Others

5.0  

Kumar Naveen

Others

मैं कवि हूँ

मैं कवि हूँ

1 min
463


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


मैं मजहब से ऊपर उठकर,

इन्सान को अपना मानता हूँ।

कभी दिन को रात नहीं कहता,

मैं दिन को दिन ही लिखता हूँ ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


मेरा कलम कभी ना गुलाम बने,

हर पल इस बात से डरता हूँ ।

मैं अपनी लेखनी में हरदम,

सच की स्याही ही भरता हूँ ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


प्यासे का प्यास, गरीबों की,

मेहनत को आगे रखता हूँ ।

वृद्धाश्रम के चौखट से उन,

माँ-बाप के आँसू लिखता हूँ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


मजदूरी करते बच्चों के,

हर दर्द जुबानी लिखता हूँ।

पैसों की खातिर कोठे पर,

बिकती इज्जत पर रोता हूँ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


बेघर, अनाथ मासूमों को,

सड़कों पर सोते लिखता हूँ।

आजाद देश की सीधी-सच्ची,

तस्वीर सजाकर कहता हूँ ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


मॉब लिंचिंग के शिकार बने,

लोगों के मलहम बनता हूँ।

मैं अन्नदाता को कर्ज से घुंटते,

दर्द पिरोकर लिखता हूँ ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।


मैं सीमा से सैनिक की गाथा,

हर शौर्य सजाकर लिखता हूँ।

और शहीद हुए वीरों के आगे,

जय हिन्द सलामी भरता हूँ।।


मैं कवि हूँ, बस कुछ शब्दों को,

छंदों में पिरोता रहता हूँ ।



Rate this content
Log in