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Kumar Naveen

Children Stories

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Kumar Naveen

Children Stories

एक बार फिर से

एक बार फिर से

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एक बार फिर से मुझको,

बस उसी स्कूल में जाना है।

बेंच वही हो जहाँ मुझे,

दोस्तों को खूब चिढ़ाना है ।।


टीचर के आगे मुझको,

फिर से मुर्गा बन जाना है।

और टिफिन में धमा-चौकसी,

रूठना और मनाना है ।।


स्कूल बैग के साथ मुझे,

आईसक्रीम खाते चलना है।

राह पड़े फूल और पत्ते,

हाथों में लेकर मलना है ।।


अपने बढ़े नाखूनों को,

बस दाँतों से ही कुतरना है ।

और अगर तालाब दिखे,

दोस्तों के संग उतरना है।।


अमराई में पेड़ों पर चढ़कर,

कच्चे आमों को खाना है ।

और कहीं माली दिख जाऐ,

बस नौ दो ग्यारह होना है ।।


काश कहीं ये हो पाता,

तो वक्त को पीछे लाना है ।

एक बार फिर से मुझको,

बस उसी स्कूल में जाना है ।।



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