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Sanam Writer

Action Inspirational

4  

Sanam Writer

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लंका दहन

लंका दहन

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अशोक वाटिका में जाकर सीता को राम वचन सुनाए

मुद्रिका उनकी निशानी सीता के हाथों में दे आए

लगी क्षुधा तो फल भी खाए सैनिक कुछ भी ना कर पाए

वानर यह कौन शैतानी है जिसे कोई ना रोक पाए


मेघनाद को बतलाया एक वानर लंका आया है

वाटिका में उसने बड़ा ही आतंक मचाया है

मेघनाद ने सोचा वानर को अभी पकड़ लूंगा

अपने इन दोनों हाथों में मैं उस वानर को जकड़ लूंगा


मेघनाद ने जाकर पूछा कौन है तू दुःसाहसी वानर

मचा रखा है जिसने आतंक स्वर्ण लंका में घुसकर

राम भक्त मैं माता सीता से मिलने लंका आया था

माता को देने के लिए प्रभु का संदेसा लाया था


ऐ वानर तू जो भी हो तुझको अभी बताता हूँ

मेरी सारी शक्तियां तुझे अभी दिखलाता हूँ

एक एक कर मेघनाद ने शस्त्र अनेकों मार दिए

मेघनाद ने हनुमान पर जाने कितने ही वार किए


पर टस से मस ना हुए बजरंगी फिर भी मुस्काते थे

मेघनाद के वारों को वे हँसकर के सह जाते थे

फिर मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र हनुमान पर चलाया

हनुमान ने हाथ जोड़ उसका वार उठाया


बंधे पाश से बजरंगी रावण के सामने आए

देख उन्हें रावण ना जाने क्यों हँसता जाए

कहा कि आखिर कौन है यह वानर हमें बतलाओ

इसके शौर्य की गाथा तनिक हमें भी सुनाओ


हनुमान बोले ऐ रावण मैं हनुमान हूँ राम काज को आया

आकर लंका में मैंने माता सीता का पता लगाया

अब जाकर मैं श्री राम को सब कुछ बतलाऊंगा

तेरी लंका की सुरक्षा प्रणाली उनको समझाऊंगा


ऐ रावण समय है तू भी आत्म समर्पण कर दे

जाकर श्री राम के चरण पकड़ ले क्षमा याचना कर ले

मैं भी तेरा वध कर सकता हूँ जो मैं करना चाहूं

आज्ञा नहीं है प्रभु की मेरे तो कुछ ना कर पाऊं


हँसकर बोला रावण तू तो साधारण वानर है

मैं अजर अमर हूँ मुझको मृत्यु का कैसा डर है

इस वानर का वध कर डालो बोला हँसकर रावण

तभी उठा और बोल पड़ा बीच सभा में विभीषण


हे राजन दूत का वध करना तो ठीक नहीं है

राजनीति के नियम विरुद्ध कार्य करना ठीक नहीं है

बोला फिर रावण तो इसकी पूँछ में आग लगा दो

वानर की प्रिय पूँछ को पूरा का पूरा जला दो


तेल लगा कर पूँछ में फिर लगा दी गई आग

पर रावण को ज्ञात ना था क्या होने वाला है आज

हनुमान फिर उड़ चले लंका में आग लगाने को

लंकापति रावण को अपना साहस दिखलाने को


बाद एक के एक वो सारी लंका जलाने लगे

हनुमान को देख सभी लंका वासी थर्राने लगे

दृश्य देख यह रावण भी सोच में फिर आ गया

एक साधारण वानर कैसे लंका को आग लगा गया


जाते जाते हनुमान ने बोला ऐ रावण सुन ले

अब भी समय है माता को प्रभु के हवाले कर दे

अगर दूत इतना बलशाली सोच प्रभु क्या कर सकते हैं

हनुमान यह कर सकता है सोच राम क्या कर सकते हैं



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