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Kusum Sankhala _"Kridha"

Action Inspirational Others

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Kusum Sankhala _"Kridha"

Action Inspirational Others

लम्हा सैनिक का

लम्हा सैनिक का

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एक रात का ख्वाब था, 

कुछ लम्हे का हिसाब था,

कुछ करने की कोशिश जारी थी, 

हर पल वो भारी थीं,


गुज़रा हुआ वक्त दुबारा नहीं आता, 

कैसे इस दिल को मैं समझाता,

आख़िरी सांस तक मैं लड़ता,

अपने कदम कैसे पीछे करता,


उस रात के ख्वाब में , 

कुछ लम्हें के हिसाब में,

पूरी ज़िन्दगी दाव पे लगाता,


लड़ा उस पल अपने दुश्मनों से,

और जीत ली जंग उस युद्ध से,

हां तकलीफ़ ज़रूर थीं इस दिल में,

कुछ दोस्त बिछड़ गए थे ज़िन्दगी में,


मैं हंसूं या रोऊं ये समझ ना आया था,

मैं खुशी बाटूँ या दर्द सहलाऊँ,

कुछ किया नहीं जा रहा था,


ज़िन्दगी का लम्हा बहुत ही ख़ूबसूरत था,

जहां दोनों ही आंखों में आंसू थे,

एक गम की गवाही तो, दूसरा हंसी का गुब्बारा था,


यारी - दोस्ती से ज्यादा देश की सेवा भारी है,

एक सैनिक की ज़िन्दगी की यही कहानी है,

मरते दम तक मैं फ़ौज में रहूंगा,

किस्मत में नहीं अपने कर्मों से ठानी हैं,


"जय हिन्द"



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