खट्टी मीठी गोलियां
खट्टी मीठी गोलियां
कुछ कुछ खट्टी
कुछ कुछ मीठी
मुंह में पानी लाने वाली होती है यह खट्टी मीठी गोलियां।
जिनका नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है।
बच्चा बड़ा बूढ़ा सब इसको बहुत पसंद कर जाता है।
समय बदल गया पसंद ना बदली पहले हम गोलियां थैलियों में लाते थे
शक्कर के बदले गोली लाते थे।
शक्कर देते बदले में दुकान वाला हमको विविध
स्वाद की बना कर देता खट्टी मीठी गोलियां।
जिनको देखकर ही खाने का मन लग जाता था।
2,4 तो वहीं खड़े खड़े हम खा जाते थे।
क्या स्वादिष्ट होती थी वे खट्टी मीठी गोलियां।
क्या सुंदर रंग होते थे नारंगी की नारंगी नींबू की पीली पान
मसाले की लाल चूरन की चटपटी काली।
लिखने में भी मुंह में पानी आ रहा है तो खाने में तो मजा ही आ जाता था।
बचपन के वे दिन बड़े होने के बाद बच्चों के लिए लाई गई गोलियां।
आज वह गली भी याद आ गई जहां से हम लाते थे वे गोलियां।
शक्कर के बदले में गोलियां।
वह बना कर देता था हमको गोलियां खट्टी मीठी गोलियां।
मजेदार गोलियां आज तो इनके नाम भी बदल गए कैंडी कहते हैं।
तरह-तरह की आ गई हैं।
भले रूप कितना भी बदल जाए
मगर उन खट्टी मीठी गोलियों का स्वाद कभी नहीं बदलेगा।
बहुत याद आती है बचपन की खट्टी मीठी गोलियां।
बड़े बूढ़ों, बच्चों के मुंह पर इन
खट्टी मीठी गोलियों से जो मुस्कान आती है।
उसको बयां करना भी मुश्किल है।
इतनी प्यारी मुस्कान जो एक संतुष्टि दे जाती है यह खट्टी मीठी गोलियां।
मेरे नाती पोते आज भी फोन पर भी सबसे पहले बात करते हैं
नानी कब ला रही हो खट्टी मीठी गोलियां।
कब भेज रही हो खट्टी मीठी गोलियां।
दादी कब दे रही हो खट्टी मीठी गोलियां।
हम आएंगे तो आप लाओगे ना खट्टी मीठी गोलियां।
कैंडी लाओगे ना हमारे भेजोगे ना खट्टी मीठी गोलियां।
सबको प्यारी खट्टी मीठी गोलियां।
जिंदगी भी है एक खट्टी मीठी गोली। जैसे कभी खट्टी है ,कभी मीठी है।,
मिले-जुले स्वाद वाली मजेदार है जिंदगी।
एकदम इन खट्टी मीठी गोलियां जैसी प्यारी सी है जिंदगी।
खटास और मिठास घुला जैसा स्वाद है मजेदार खट्टी मीठी गोलियां।