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Kusum Sankhala _"Kridha"

Abstract Inspirational Children

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Kusum Sankhala _"Kridha"

Abstract Inspirational Children

मां को सब पता है

मां को सब पता है

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मां को सब पता है 

मेरा उठना, मेरा बैठना 

मेरा चलना,मेरा रुकना

मेरा रोना, मेरा हँसना 

मेरे सपने, मेरी हकीकत 

मेरा रूठना, मेरा मान जाना

मेरी सेहत, मेरी हालत


मां को सब पता है

मेरा दर्द, मेरी मुस्कान

मेरी खुशी, मेरी आंसू

मेरी इच्छा, मेरी जरूरत


मां ही तो हैं मेरी दोस्त

मां से ही तो है ज़िन्दगी मेरी

मां के आंचल सी छत ना कोई

मां की गोद सी ना सुख कोई


मां के बिना ये ज़िन्दगी अधूरी 

मा से मिलने की इच्छा हो गई है पूरी

मां की बातो सा ना बतियायता कोई

मां सी दुनिया में दूसरा ना कोई


मेरा खाना, मेरा पीना

मेरा चलना, मेरा ठहरना 

क्यों बैठा है चुपचाप सा उसने पूछा 

मैंने कहा अब काम नहीं सब बंद पड़ा है 

पैसे नहीं जेब खाली है


वो मुस्कुराई मुझे देख,

तभी मेरी पत्नी की आवाज आई 

सुनो जी यहां आओ इस अलमारी को जरा देखो

मैने झाँका उस अलमारी में सब कुछ रखा था एक कोने में

ये पैसे यहां कैसे आए


माँ को देखा वो मुझे देख मुस्कुराए

मै भी समझ गया था अब

जो दुनिया को नहीं पता 

वो मां को सब पता है।


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