मेरे अर्धनारेश्व....मेरे हमसफर
मेरे अर्धनारेश्व....मेरे हमसफर
नाराज़गी उनसे मेरी कुछ ऐसी थी,
मैंने उनसे पूछा था,
मेरे अलावा है कोई और है क्या,
जिसका उनपे पहरा था,
हँस दिए और मुस्कुरा दिए वो,
और मुझसे बोले,
कई स्त्री है मेरे जीवन में,
तुम्हारा मन क्यूं डोले,
मैंने भी थोडी नाराजगी जताई,
ख्याल में सोचा कितने सौतने इनकी ज़िंदगी में है आई,
देख मेरा उदास सा चेहरा मंद - मंद वो मुस्कुराये,
पास आके बोले मुझसे,
क्यों तुम इतनी घबराए,
चलो आज बताता हूं,
मैं मेरी जीवन की सच्चाई
किन - किन स्त्री ने मेरे जीवन में अपनी जगह बनाई,
हाँ कई स्त्री से प्यार करता हूं,
हाँ प्यार करता हूं , उस स्त्री से जिसने मुझे जन्म दिया है,
हाँ प्यार करता हूं, उस स्त्री से जो कलाई पे राखी बांधती हैं,
हाँ प्यार करता हूं, उस स्त्री से जिन्हे मैं छोटी माँ बुलाता हूं,
हाँ प्यार करता हूं, उस स्त्री से जो मेरी बड़ी माँ हैं,
हाँ कई स्त्री से प्यार करता हूं,
हाँ प्यार करता हूं, उस स्त्री से जो तुम्हारी कोख से जन्मी हैं
हाँ प्यार करता हूं, उस स्त्री से भी जिसको तुमने जन्म दिया है,
करता हूं मैं कई ऐसे स्त्रियों से प्यार ,जिन्हे मैं कभी दादी तो कभी नानी बुलाता हूं,
कोई भुवा है तो कोई मौसी है जिनसे मुझे प्यार है,
हाँ प्यार करता हूं उस स्त्री से जो मेरी अर्द्धांगनी हैं,
मेरे जीवन में कई स्त्री हैं पर तुमसा कोई नहीं है,
तुम्हरा पति सिर्फ़ पति तो नहीं ,
जैसे तुम सिर्फ़ एक पत्नी तो नहीं ,
क्यू ना हो एक आदमी के जीवन में दूसरी स्त्री ,
सिर्फ स्त्री का मतलब सौतन तो नहीं है ,
हाँ वो मेरे पति हैं, पर साथ ही किसी के बेटे , पिता और भाई भी हैं,
ना जाने कितने रिश्ते उनसे जुड़े आज भी है,
ऐसी समझदारी बात उनकी सुन मैं भी मुस्कुरायी,
ऐसी स्त्रियाँ हो अगर किसी पुरुष के जीवन में,
तो वो कभी न करें बेवफाई,
मेरे पति मेरे अर्धनारेश्वर ,
आधे मुझमें समाए हैं,
इसलिए जीवन के इस सफ़र में,
हमसफ़र कहलाए हैं।
