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_ "Kridha"

Tragedy

4.5  

_ "Kridha"

Tragedy

हिस्सा

हिस्सा

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घर में चल रहा था बटवारा ,

मां चुप चाप देख रहीं थीं 

सब कुछ बंटा जा रहा था ,

फिर भी सोच में खड़ी थीं

बट गया जब सब कुछ ,

अब उसकी बारी थी ,


सोच रही थीं वो ,

मै किस हिस्से में आऊंगी,

सब जब निकल रहे थे ,

मां ने टोका सब बच्चो को,

पूछा उनसे एक सवाल कि

 

मैं किसके हिस्से आऊंगी

मैं अब कहाँ रहूंगी ,

सब देख रहे थे एक दूसरे को ,

घर में खामोशी सी छा गई थी

घर में खामोशी सी छा गई थी।


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