हिस्सा
हिस्सा
घर में चल रहा था बटवारा ,
मां चुप चाप देख रहीं थीं
सब कुछ बंटा जा रहा था ,
फिर भी सोच में खड़ी थीं
बट गया जब सब कुछ ,
अब उसकी बारी थी ,
सोच रही थीं वो ,
मै किस हिस्से में आऊंगी,
सब जब निकल रहे थे ,
मां ने टोका सब बच्चो को,
पूछा उनसे एक सवाल कि
मैं किसके हिस्से आऊंगी
मैं अब कहाँ रहूंगी ,
सब देख रहे थे एक दूसरे को ,
घर में खामोशी सी छा गई थी
घर में खामोशी सी छा गई थी।