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Dinesh paliwal

Drama Action

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Dinesh paliwal

Drama Action

।। नारी।।

।। नारी।।

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लड़की है लड़ सकती है,

माहौल मुताबिक गङ सकती है,

गर मौका दो पढ़ सकती है,

हिमालय पर भी चङ सकती है,

क्यों ये सकना है मेरे साथ जुड़ा,

सब शक मिश्रित विश्वास उड़ा,


मुझको मिलता ज्यों अहसान कोई,

है कृपा मिश्रित जो मिले मान कोई,

बेचारी, अबला से मिले विशेषण,

हो युग कोई बस मेरा शोषण,

फिर भी जब मन ना भर पाता,

तो ये समानता का थोथा नाता,


हर बात हर नारा जो उपजा,

वो बस ये अहसास दिलाता है,

मुझ में कुछ कहीं तो खाली है,

जो समाज तरस दिखलाता है,

हर युग हर काल में है देखा,

जब जब चाहूँ मैं तुम पर भारी,

मेरी करुणा और ममता को,

क्यों कहते तुम मेरी लाचारी,


ये प्रकृति भी तो मैं ही हूँ,

ये जन्म चक्र भी मुझ से चलता,

जो मैं धरती सी घूम रही तो,

तेरा ढलता सूरज रोज निकलता,

तुम हरदम मेरे संबल हो,

ना बस ये मान के मेरा मान करो,

अस्तित्व जगत का हम दोनों से ही,

निज पूरक सा सम्मान करो,


बस एक दिवस मुझ को देकर,

बात समानता की बेमानी है,

मेरे अधिकार जो मिले दान में,

होती अब उनसे ग्लानी है,

अब कृपा नहीं अधिकार चाहिये,

मेरे वजूद पर ना उपकार चाहिये,


ना बांधो मुझ को कोई बंधन अब,

मुझको अब पूरा संसार चाहिये,

मुझको अब पूरा संसार चाहिये।।


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