सूरज को चुरा लिया है....
सूरज को चुरा लिया है....
झरोखों और खिड़कियों से झाँकने वाली धूप को नदारद पाकर
दिल ने जाना है कि आज फिर किसी ने सूरज को चुरा लिया है....
ये खिड़कियाँ और झरोखे उदास हैं ठीक वैसे ही उनसे झाँकने वाली आँखें भी......
शाम को यूँ ही छत पर आती हुयीं सीली हवा देख कर
दिल मे हुक सी उठी है की आज कही फिर दूर कोई रो रहा होगा.....
आसमाँ में तारों की बारात देख ये दिल फिर ख़यालों में खो गया है
दिल ने जाना है कि मंज़िल की तलाश में चाँद भी उसकी तरह भटक रहा है....
इन टिप टिप बारिश की बूंदों से यह तपती धरती भीगकर नम हो रही है
ठीक वैसे ही यह दिल किसी की याद में नम सा हो रहा है....
यह दिल न जाने क्यों आज कुछ बेवजह सोचता ही जा रहा है.....
