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Kunda Shamkuwar

Abstract Others Drama

4.4  

Kunda Shamkuwar

Abstract Others Drama

सूरज को चुरा लिया है....

सूरज को चुरा लिया है....

1 min
279


झरोखों और खिड़कियों से झाँकने वाली धूप को नदारद पाकर

मन ने जान लिया है कि आज फिर किसी ने सूरज को चुरा लिया है....

ये खिड़कियाँ और झरोखे उदास हैं ठीक वैसे ही उनसे झाँकने वाली आँखें भी......

शाम को यूँ ही छत पर आती हुयीं सीली हवा देख कर

मन मे फिर हुक सी उठी है की आज कही दूर कोई रो रहा होगा.....

आसमाँ में तारों की बारात देख मेरा मन फिर ख़यालों में खो सा गया है

मेरे मन को लगने लगा है चाँद भी उसकी तरह मंज़िल की तलाश में भटक रहा है...

इन टिप टिप बारिश की बूंदों से यह तपती धरती भीगकर नम हो रही है

ठीक वैसे ही यह दिल भी किसी की याद में नम हो रहा है....

यह दिल न जाने क्यों आज बेवजह किसी के ख़यालों में गुम हो रहा है.....



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