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Kunda Shamkuwar

Abstract Drama

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Kunda Shamkuwar

Abstract Drama

एक औरत में कितनी औरतें...

एक औरत में कितनी औरतें...

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गृहस्थी में रमने वाली औरत...
रिश्तेदारी निभाने वाली औरत...
बड़ियाँ पापड़ बनाने वाली औरत...
मसालों को कुटने वाली औरत...
अचार बनाने वाली औरत...
मर्तबान को धुप दिखाने वाली औरत... 
लहसुन प्याज़ में महकनेवाली औरत...
रसोई का हिसाब रखने वाली औरत...
आटे दाल का भाव जानने वाली औरत...
बाजार दर बाज़ार घूमकर चार पैसे बचाने वाली औरत...

गोल्ड पसंद नही कहकर ऑक्सीडाइज्ड ज्वेलरी से खुश होने वाली औरत...
फेयर अँड लवली से गोरेपन के ख़्वाब सजाने वाली औरत...
बालों को कलर करने वाली औरत...
नये नये फैशन के रंग में रंगने वाली औरत...
फेसबुक इंस्टा में रील बनाने वाली औरत....
आड़ी तिरछी फोटो पोस्ट करने वाली वाली औरत...

व्हाट्सप्प में स्टेटस अपडेट रखने वाली औरत...

फैशन, टीवी और सिनेमा पर बतियाने वाली औरत...
आसपड़ोस की गॉसिप करने वाली औरत...

नर्स, डॉक्टर, इंजीनियर और ऑफिस में काम करने वाली औरत...
सेमिनार और कॉन्फ्रेंस में अपना पॉइंट रखने वाली औरत...
'की नोट स्पीकर' के तौर कॉन्फ्रेंस में भाषण देती औरत...
घर की इनकम में मैथेमेटिक्स जाननें वाली औरत...
किचन के पाक शास्त्र में सायन्स जाननें वाली औरत...
रिश्तों का सोशल सायन्स जाननें वाली औरत...
घर का भूगोल जाननें वाली औरत...
ददिहाल और ननिहाल की हिस्ट्री जाननें वाली औरत...
दिल का रास्ता पेट से जाता है ये जानने वाली औरत...
घर के हर फर्द की पसंद नापसंद का ख़याल रखने वाली औरत...
किचन की अपनी सल्तनत को संभालने वाली औरत...

पहाड़ सी स्ट्रॉन्ग औरत...
मोम सी मुलायम औरत....
नदी सी बहती औरत...
समंदर सी गहरी औरत...
किताबें पढ़ती औरत...
किताबें लिखती औरत...
सियासत करती औरत...
सियासत में रमती औरत...
न कभी बहू बन रूकती है औरत...
न कभी सास बन थकती है औरत...
एक औरत में कितनी सारी औरतें... 
न जाने किस हाड़माँस से बनी होती है औरतें....





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