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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं

भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं

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किसी के भावनाओं में जल्द कभी आना नहीं।

किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं।।


रुको थोड़ा, सब्र करो, वक्त दो - तब सच्चाई आएगी सामने ।

कोशिश बेशक करो पर वक्त लेकर, तब लगोगे सब जानने।


बहुत सी ऐसी घटनाएं होती है जिंदगी में ।

जो वक्त के साथ साथ देखो तो उनके अनेक आयाम दिखेंगे।

अभी इस पल जो गरज रहे थे किसी पर तुम बेधड़क -

उसी पर वक्त दोगे तो कुछ और काम दिखेंगे ।


झुक जाती है तब निगाहें भी खुद से, खुदा से।

ये क्या देखा था, अब ये क्या देख रहा हूं ।

मै क्रोध में था तब तो ऐसा नहीं था सामने -

क्रोध हटा तो, आंख के परत दर परत परदे हटा रहा हूं ।


मैं वही, भावनाएं वहीं, बस खौलता दूध देख रहा था।

उबाल आया, और मैं उफन कर आसमां देखने लगा ।

थोड़ा रुको, धीरे से मन की तली से आवाज़ आई ।

उबाल कम हुआ, तो मैं आसमां से तली देखने लगा ।।


इसलिए कभी भी -

किसी के भावनाओं में जल्द कभी आना नहीं।

आ भी गए तो -

किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं।।


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