भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं
भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं
किसी के भावनाओं में जल्द कभी आना नहीं।
किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं।।
रुको थोड़ा, सब्र करो, वक्त दो - तब सच्चाई आएगी सामने ।
कोशिश बेशक करो पर वक्त लेकर, तब लगोगे सब जानने।
बहुत सी ऐसी घटनाएं होती है जिंदगी में ।
जो वक्त के साथ साथ देखो तो उनके अनेक आयाम दिखेंगे।
अभी इस पल जो गरज रहे थे किसी पर तुम बेधड़क -
उसी पर वक्त दोगे तो कुछ और काम दिखेंगे ।
झुक जाती है तब निगाहें भी खुद से, खुदा से।
ये क्या देखा था, अब ये क्या देख रहा हूं ।
मै क्रोध में था तब तो ऐसा नहीं था सामने -
क्रोध हटा तो, आंख के परत दर परत परदे हटा रहा हूं ।
मैं वही, भावनाएं वहीं, बस खौलता दूध देख रहा था।
उबाल आया, और मैं उफन कर आसमां देखने लगा ।
थोड़ा रुको, धीरे से मन की तली से आवाज़ आई ।
उबाल कम हुआ, तो मैं आसमां से तली देखने लगा ।।
इसलिए कभी भी -
किसी के भावनाओं में जल्द कभी आना नहीं।
आ भी गए तो -
किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं।।