मैं स्त्री हूँ और सबका सम्मान रखना जानती हूँ मैं स्त्री हूँ और सबका सम्मान रखना जानती हूँ
खबरदार हमारे अलावा जो कोई हाथ लगाए। खबरदार हमारे अलावा जो कोई हाथ लगाए।
बीते जो फिर बीत ही जाए, मन फिर कोई ठेस न पाए। बीते जो फिर बीत ही जाए, मन फिर कोई ठेस न पाए।
कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है। कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे -से थपथपाती है।
अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं होंगे। अगर सब ख़ुद की सोच बदल ले तो कोई जात पात रुपए पैसे से होने वाले फसाद ही नहीं ...
निराशा के गर्त से उभरने के लिये प्रति पल प्रयासरत रहता है, निराशा के गर्त से उभरने के लिये प्रति पल प्रयासरत रहता है,