पैसों से मौज़ हो सकती है समझ की सोच नहीं हो सकती पैसों से मौज़ हो सकती है समझ की सोच नहीं हो सकती
ना भटके कभी चंचला मेरा मन पांव सत्यता की राह में बढ़ाता रहूं। ना भटके कभी चंचला मेरा मन पांव सत्यता की राह में बढ़ाता रहूं।
और फिर एक वो दिन भी आया दिल ने कहा बस अब और नहीं! और फिर एक वो दिन भी आया दिल ने कहा बस अब और नहीं!
प्रकृति की गोद को उजाड़, बहुत इतराते- इठलाते थे हम, प्रकृति की गोद को उजाड़, बहुत इतराते- इठलाते थे हम,
कभी था गर्त में मिला आज उठा, उगा सूरज बढ गयी है अब शान बौनी हो गयी उड़ान कभी था गर्त में मिला आज उठा, उगा सूरज बढ गयी है अब शान बौनी हो गयी उड़ान
निराशा के गर्त से उभरने के लिये प्रति पल प्रयासरत रहता है, निराशा के गर्त से उभरने के लिये प्रति पल प्रयासरत रहता है,