छ्लांग
छ्लांग
उसने लगाई ऐसी छलांग
कि हो गयी बौनी उड़ान
कभी तरसता हर सुख को
लगाता था गले हर दुख को
पर आज बना ली उसने पहचान
बौनी हो गयी उड़ान
कभी था गर्त में मिला
आज उठा, उगा सूरज
बढ गयी है अब शान
बौनी हो गयी उड़ान
अब करेंगे सब गुणगान
बौनी पड़ गयी जो उड़ान
