इसलिए प्रण करो कि सुधारे व्यवस्था के इस ढांचे को, ताकि न हो आहत कोई आगे किसी के खोने को। इसलिए प्रण करो कि सुधारे व्यवस्था के इस ढांचे को, ताकि न हो आहत कोई आगे किसी ...
सारी बहसों से अलग वह हड्डी के एक टुकड़े और कौर-भर (सीझे हुए) अनाज पर है। सारी बहसों से अलग वह हड्डी के एक टुकड़े और कौर-भर (सीझे हुए) अनाज पर है।
दोनों ने खुद इश्क़ की गली में छलाँग लगायी। अब दोनों तैर जाये या डूब जाये कोई नयी बात नहीं दोनों ने खुद इश्क़ की गली में छलाँग लगायी। अब दोनों तैर जाये या डूब जाये कोई नयी...
कभी था गर्त में मिला आज उठा, उगा सूरज बढ गयी है अब शान बौनी हो गयी उड़ान कभी था गर्त में मिला आज उठा, उगा सूरज बढ गयी है अब शान बौनी हो गयी उड़ान
सारी जीवित चीज़ें मुझसे दूर छिटक जाती थी सारी जीवित चीज़ें मुझसे दूर छिटक जाती थी