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Sapna Tripathi

Others

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Sapna Tripathi

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मंथन

मंथन

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रिश्तों में गर्ज नहीं होती

दिमागी मर्ज़ नहीं होती

पैसों से मौज़ हो सकती है

समझ की सोच नहीं हो

सकती


मासूमियत सी अर्ज़ करती

रहती हूँ

ज़िन्दगी के क़र्ज़ गिनती रहती हूँ

ज़िन्दगी यूँ ही गर्त नहीं होती

अगर तुम ये समझ सकीं होती

कि रिश्तों में गर्ज नहीं होती  


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