अंतस
अंतस
आजकल मेरी शाम मुझसे कहती है
जाने तू गुम कहाँ रहती है
चाँद तारे भी तेरा पता पूछते हैं
तेरे बिन वो भी खोये खोये रहते है
जब तक तेरी आवाज़ नहीं आती है
नभ को भी नींद सी आ जाती है,
तू बात कर वर्ना चाँद में वो बात नहीं
जैसी होती है अक्सर वैसी हसीं रात नहीं
आजकल मेरी शाम मुझसे कहती है
जाने तू गुम कहाँ रहती है ,
ज़िन्दगी लम्बा सफर मुकाम अभी बाकी है
होंसला कायम रख उड़ान अभी बाकी है
तू मुस्कुरा दे तो ये समां भी मुस्कुराएगा
देखना ये चाँद जलकर सूरज हो जायेगा