मझली रात
मझली रात
मुझे तेरे आने की आहट हुई मझली रात में !
मिली न तुम कहीं आजूबाजू मझली रात में !!
भूल गयी करके वादे इश्क में जीने मरने के ,
छुप छुप मिलने एक दूजे से मझली रात में !
जाम पे जाम गटक गया यादे तेरी भूलाने को,
कितनी पिया याद नही मुझे मझली रात में !
हिचकियों ने आना छोड दिया थक हारकर ,
बोतले सारी लुढ़की रीतकर मझली रात में !
तेरी यादों का स्रोत बहता रहा झरने की तरह,
बेहोशी में चूर आँख लग गयी मझली रात में !

