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Govind Narayan Sharma

Romance

3  

Govind Narayan Sharma

Romance

मझली रात

मझली रात

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मुझे तेरे आने की आहट हुई मझली रात में ! 

मिली न तुम कहीं आजूबाजू मझली रात में !!

भूल गयी करके वादे इश्क में जीने मरने के , 

छुप छुप मिलने एक दूजे से मझली रात में !

जाम पे जाम गटक गया यादे तेरी भूलाने को,

कितनी पिया याद नही मुझे मझली रात में !

हिचकियों ने आना छोड दिया थक हारकर ,

बोतले सारी लुढ़की रीतकर मझली रात में !

तेरी यादों का स्रोत बहता रहा झरने की तरह, 

बेहोशी में चूर आँख लग गयी मझली रात में ! 


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