हंसीं ख़्वाब
हंसीं ख़्वाब


दरिया में उतरो पहले गहराई जान लीजिए,
दिल में जगह पाने को इरादे जान लीजिए!
कितनी मासूमियत पसरी हैं उसके चेहरे पर,
आंख मुन्द कर मंसूबों पर विचार लीजिए!
मोहब्बत का पौधा एक दिन में उगता नही,
धीरे धीरे शबनम की बूंदों से सींचते रहिए!
शरद चन्द्र शबनमी बूंदों सा नाजुक है इश्क,
जरा दरिया में डूबने का ख़्वाब देख लीजिए!
न हो रूह से वास्ता तो रुसवा न किया करो,
किसी के हसीं ख्वाबों का कत्ल न कीजिए !
खुदगर्जी का हर रिश्ता बरखुरदार जानिए,
दिल में उतर मखमली ख्वाबों को न तोड़िए,
कतरा कतरा बिखरे हुए आईने को बटोरकर ,
फिर यूँ दरारें जोड़ने का जतन मत कीजिए!
पल दो पल की जिन्दगी में रुसवा न करो,
तड़प कर जान दे ऐसा गुनाह न कीजिए,
बेवफाई के जख्म चंद लम्हों में मुकमल हो,
ऐसी कोई मरहम उल्फ़त में ईजाद कीजिए!!